कैसी अच्छी तरबियत ! नेकी की कैसी बरकत (Hindi) moral stories on self discipline
हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाहि अलयहि एक बहुत ही बड़े बुजुर्ग गुज़रे है ।
वह इस्लामी सल्तनत के बड़े खलीफा भी थे ।
लेकिन खलीफा होने के बावजूद उन्होंने जिंदगी बहुत ही सादगी से गुजारी । जब उन की वफात का वक्त करीब आया तो उनके उनके एक दोस्त ने उनसे कहा . . . " उमर ! तुमने अपने बच्चों के साथ बहुत बुरा किया है ।
"हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ने पूछा . . . " वह कैसे ? " दोस्त ने कहा . . . " तुम से पहले जो हाकिम और बादशाह गुज़रे उन्होंने अपनी अवलाद के लिये इतने सारे खजाने छोड़े , इतनी सारी ज़मीने छोडी । इतनी जागीरे - छोड़ी के आज उनकी अवलाद शानो शौकत के साथ आराम की जिंदगी गुज़ार रही है ।
" फिर उस दोस्त ने आगे कहा . . . . " और तुम्हारे ग्यारह बेटे है । फिर भी तुमने अपने बेटों के लिये कुछ जमा नहीं किया । उनको गरीबी की हालत में छोड़ा है । आप के जाने के बाद उनकी जिंदगी - कैसी तंगहाल हो जाएगी ।
यह सुनकर हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज़ जल्दी से अपने बिस्तर से उठे और फरमाया “ दोस्त ! एक बात ध्यान से सुनो . . . अगर मैनें अपने बेटों की अच्छी तरबियत की , उनको नेकी का रास्ता सिखाया तो अल्लाह रब्बुल इज्जत का ऐसे लोगों के बारे में कुरआन -पाक में वा ' दा है . . .
वहुव यतवल्लस्सालिहीन
तरजुमा . . .
और वह या ' नी अल्लाह नेक लोगों की रखवाली करता है ।
और मैं अपने बेटों को अल्लाह की रखवाली में दे कर जा रहा हूँ ।फिर हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ने आगे कहा . . . “ और अगर मेरे बेटे नेक नहीं बने , बदकार बने तो उनका मामला अल्लाह के हवाले है । उस के बाद हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ की वफात हो गई ।
उनकी वफात के बाद जो भी बादशाह या हाकिम बना तो उसको गवर्नर बनाने के लिए नेक लोगों की जरुरत पड़ी । उस बादशाह या हाकिमने पूरे इलाके में हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के बेटों से ज्यादा कोई नेक और पढा लिखा नहीं पाया ।
आखिर उस बादशाह या हाकिमने हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के सब बेटों को अलग अलग जगहों का गवर्नर बनाया । और नेकी की बरकत से हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के सब बेटे सुकून की जिंदगी गुजारने लगे ।
कैसी अच्छी तरबियत ! नेकी की कैसी बरकत !
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हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाहि अलयहि एक बहुत ही बड़े बुजुर्ग गुज़रे है ।
वह इस्लामी सल्तनत के बड़े खलीफा भी थे ।
लेकिन खलीफा होने के बावजूद उन्होंने जिंदगी बहुत ही सादगी से गुजारी । जब उन की वफात का वक्त करीब आया तो उनके उनके एक दोस्त ने उनसे कहा . . . " उमर ! तुमने अपने बच्चों के साथ बहुत बुरा किया है ।
"हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ने पूछा . . . " वह कैसे ? " दोस्त ने कहा . . . " तुम से पहले जो हाकिम और बादशाह गुज़रे उन्होंने अपनी अवलाद के लिये इतने सारे खजाने छोड़े , इतनी सारी ज़मीने छोडी । इतनी जागीरे - छोड़ी के आज उनकी अवलाद शानो शौकत के साथ आराम की जिंदगी गुज़ार रही है ।
" फिर उस दोस्त ने आगे कहा . . . . " और तुम्हारे ग्यारह बेटे है । फिर भी तुमने अपने बेटों के लिये कुछ जमा नहीं किया । उनको गरीबी की हालत में छोड़ा है । आप के जाने के बाद उनकी जिंदगी - कैसी तंगहाल हो जाएगी ।
यह सुनकर हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज़ जल्दी से अपने बिस्तर से उठे और फरमाया “ दोस्त ! एक बात ध्यान से सुनो . . . अगर मैनें अपने बेटों की अच्छी तरबियत की , उनको नेकी का रास्ता सिखाया तो अल्लाह रब्बुल इज्जत का ऐसे लोगों के बारे में कुरआन -पाक में वा ' दा है . . .
वहुव यतवल्लस्सालिहीन
तरजुमा . . .
और वह या ' नी अल्लाह नेक लोगों की रखवाली करता है ।
और मैं अपने बेटों को अल्लाह की रखवाली में दे कर जा रहा हूँ ।फिर हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ने आगे कहा . . . “ और अगर मेरे बेटे नेक नहीं बने , बदकार बने तो उनका मामला अल्लाह के हवाले है । उस के बाद हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ की वफात हो गई ।
उनकी वफात के बाद जो भी बादशाह या हाकिम बना तो उसको गवर्नर बनाने के लिए नेक लोगों की जरुरत पड़ी । उस बादशाह या हाकिमने पूरे इलाके में हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के बेटों से ज्यादा कोई नेक और पढा लिखा नहीं पाया ।
आखिर उस बादशाह या हाकिमने हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के सब बेटों को अलग अलग जगहों का गवर्नर बनाया । और नेकी की बरकत से हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के सब बेटे सुकून की जिंदगी गुजारने लगे ।
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